· स्टंट वुमन बन पाना तो एक सपने जैसा
था. उससे पहले मुझे लगता था कि मेरी कोई औकात ही नहीं है.
मैं ऐश्वर्या राय (जज़्बा), करीना कपूर (उड़ता पंजाब, सिंघम रिटर्न्स), दीपिका पाडुकोण
(चेन्नई एक्सप्रेस), परिणिती चोपड़ा (हंसी तो फंसी) जैसी
हिरोईन की बॉडी-डबल बनी और खतरों के खिलाड़ी जैसे शो का हिस्सा भी...
मैं बहुत ग़रीब घर से हूं. बड़ी
मुश्किल से आठवीं तक की पढ़ाई की थी और दुनिया की कोई समझ भी नहीं थी.
मैं नौ साल की थी जब मेरा मां गुज़र
गईं. मेरे पिता पर मेरे साथ मेरी बड़ी बहन और दो छोटे भाइयों की ज़िम्मेदारी थी.
अक़्सर खाने को कुछ नहीं होता था.
कई बार दो दिन तक लगातार भूखे रहना पड़ता था. ऐसे में क्या पढ़ाई होती?
बस मैं खेलती ख़ूब थी, वो भी लड़कों के साथ. लड़कों के खेल, जैसे गुल्ली डंडा और क्रिकेट. और ऐसा खेलती थी कि अपने से दो साल
बड़े लड़कों को हरा देती थी.
फिर 15 साल की उम्र में अचानक मेरे पिता ने मेरी शादी कर दी. मुझे भी लगा
ठीक ही है, सर पर छत होगी, खाने को पूरा खाना और एक मां का प्यार.
पर असल में शादी एक सज़ा बनकर रह
गई. प्यार की जगह बस बदसलूकी और मार-पीट मिली. दो बार पुलिस में शिकायत तक की पर
कुछ हासिल नहीं हुआ.
फिर 17 साल की उम्र में बेटी और दो साल बाद बेटा हुआ. लेकिन बच्चों के बाद
भी माहौल नहीं बदला.
आखिर मैंने तय किया कि मुझे ये
ज़िंदगी नहीं जीनी और मैंने अपने बच्चों के साथ पति का घर छोड़ दिया.
कभी बहन और कभी दोस्तों के घर में
रही. कुछ दिन गुरुद्वारे में भी गुज़ारने पड़े.
इसी दौरान पड़ोस की एक औरत ने मुझे
एक फ़्लैट में रहने का मौका दिया, कहा कि ये खाली
पड़ा है.
Image copyrightGEETA TANDON
पर अगले ही दिन असली बात बताई.
बोलीं, इस फ़्लैट के मालिक की पत्नी बीमार
रहती है और वो चाहता है कि मैं वहीं रहने लगूं, उसका ख़याल रखूं और बदले में वो मेरे बच्चों की पढ़ाई लिखाई का
ख़र्च उठाएगा.
मैं समझ गई कि वो आदमी मुझसे क्या
चाहता है. मैंने फ़ौरन वो फ़्लैट छोड़ दिया.
मैं वो औरत नहीं बनना चाहती थी जैसा
समाज अक़्सर अकेली या तलाकशुदा औरतों के बारे में सोचता है.
मुझे याद थे मेरे पति के ताने जब वो
कहता था कि मैं घर छोड़कर ऐसा क्या कर पाउंगी? आखिर में क्या 50 रुपए के लिए मुझे
किसी का बिस्तर गर्म करना होगा?
Image copyrightGEETA TANDON
मैं ऐसा नहीं कर सकती थी. पर सबसे
बड़ी चुनौती काम ढूंढने की थी.
बच्चों को अक़्सर पानी में चीनी घोल
कर कहती थी कि ये दूध है. वो रोते-रोते पी लेते थे पर देखा नहीं जाता था.
छोटा-मोटा हर काम ले लेती थी. एक
जगह रोज़ाना 500 रोटियां बनाने के लिए महीने का 1,200 रुपया मिलता था, वो भी किया.
फिर रहने का ठिकाना बदलते-बदलते एक
नए इलाके में रहने लगी और औरतों के एक ग्रुप से वास्ता हुआ.
Image copyrightGEETA TANDON
वो बहुत तैयार होकर रोज़ कहीं काम
करने जाती थी, मैंने उनसे पूछा तो पता चला कि एक
मसाज पार्लर जाती हैं.
मैं भी उनके साथ हो ली. सास के सर
की मालिश खूब की थी मैंने. और बताया गया कि महीने के 10,000 रुपए तक मिलेंगे.
पर एक ही दिन में पता चल गया कि
वहां भी मसाज की आड़ में दरअसल देह व्यापार होता है. मैं भाग खड़ी हुई.
घर आकर बहुत रोई, ये सोच कर कि मैं ऐसा काम करने के कितने नज़दीक आकर दूसरी बार
बाल-बाल बच गई.
ज़िंदगी के इन कड़वे अनुभवों ने
समझदार बना दिया मुझे.
अपने पिता की मदद से शादी के फंक्शन
में नाचने का काम ढूंढा और धीरे-धीरे दो पैसे कमाने लगी.
वहीं दोस्त बने और उन्होंने देखा कि
मैं नाचने के लिए नहीं बल्कि खेल-कूद और जांबाज़ी के कारनामों के लिए बनी हूं.
शादी के ही एक प्रोग्राम में एक औरत
का नंबर मिला जो स्टंट्स करवाती हैं, और उन्हें दो महीने तक फोन कर काम मांगती रही.
आखिरकार उन्होंने मुझे बिंदास चैनल
के एक शो में एक किले से कूदने का स्टंट करने के लिए बुलाया. बस वहीं से मेरी
ज़िंदगी पलट गई.
उस दिन एक तार से बंधकर जब छलांग
लगाई तो मन में चाहे जितना डर हो, चेहरे पर बहुत
हौंसला था.
उसी के बल पर काम मिलता चला गया.
भारत में स्टंट करनेवाली औरतें बहुत कम हैं इसलिए मेरे काम की मांग थी और ये काम
ख़तरनाक होने के बावजूद मुझे पैसों की ज़रूरत थी.
स्टंट के दौरान एक बार चेहरा जल गया, एक और बार रीढ़ की हड्डी फ्रैकचर हुई. पर तीन महीने के बाद मैं कमर
पर बेल्ट लगाकर फिर से काम पर निकल पड़ी.
मुझे कार-चेज़ शूट करने में बहुत
मज़ा आता है और मेरा सपना है कि मैं कोई हॉलीवुड-स्टाइल स्टंट करूं.
मैंने कोई ट्रेनिंग नहीं ली, बस भगवान से और बच्चों से हिम्मत मिली.
आज मेरे बच्चे मुझे हीरो मानते हैं
और मुझे इस बात का गुरूर है कि मैंने अकेले अपने दम पर अपने बच्चों को अच्छी
परवरिश दी और अब उन्हें अंग्रेज़ी मीडियम के स्कूल में पढ़ा रही हूं.
No comments:
Post a Comment